योगा एक बहुत ही सरल एवं हर व्यक्ति द्वारा की जा सकने वाली पध्दति है जिसके माध्यम से शारीरिक एवं मानसिक स्थिति को विभिन्न आसन के माध्यम से सुदृण बनाया जा सकता है तथा नशा करने के पश्चात होने वाले विभिन्न विकार जैसे : तांत्रिक तंत्र , श्वसन तंत्र , पाचन तंत्र , उत्सर्जन तंत्र अस्थि एवं रक्त संबंधी होने वाली रोगो में लाभ प्राप्त होता है |
मेडिटेशन(ध्यान ) द्वारा नशा पीड़ितों में होने वाली मानसिक समस्याओं जैसे : याददाश्त कमजोर होना, काम में मन न लगना, चिड़चिड़ापन , एकाग्रता की कमी इत्यादि में बहुत लाभ प्राप्त होता है |
नशा पीड़ित व्यक्ति लम्बे समय नशा करने के फलस्वरूप अपनी मानसिक स्थिति एवं मानसिक संतुलन खो चुका होता है तथा विभिन्न मानसिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती है | इन मानसिक विकारों का अवलोकन कर मनोवैज्ञानिक द्वारा उपचार किया जाता है तथा जिसके पश्चात मरीज समाज में जाने के बाद एक स्वस्थ जीवन जी सकता है
केंद्र में विभिन्न विशेषज्ञा मनोचिकित्स्कों एवं मनोवैज्ञानिक द्वारा मनोवैज्ञानिक परीक्षण (Psychometric Test) करने के पश्चात नशा पीड़ित एवं मनोरोगियों का उपयुक्त उपचार विभिन्न आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के माध्यम से किया जाता है |
अनुभवी मनोचिकित्सकों द्वारा रोगी को परीक्षण कर एलोपैथिक , होम्योपैथिक एक आयुर्वेदिक दवाइयों के माध्यम से चिकित्सा की जाती है संस्था में यह समस्त चिकित्सा पद्धतियॉं मरीज को एक जगह ही उपलब्ध कराई जाती है |
संस्था में सायकोथैरेपी विभिन्न आधुनिक उपकरणों द्वारा की जाती है जिसके अंतर्गत एवर्जनथेरेपी बेनपोलाइज़र इलेक्ट्रोस्लिप, ग्रुप थैरेपी , कॉगनिटिव बिहेवियर थैरेपी , बिहेवियर मॉडिफिकेशन इत्यादि द्वारा मानसिक तौर पर मरीज को स्थिर रखा जा सकता है |
यह वैज्ञानिक मनोचिकित्सा का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसमें मरीज का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर विभिन्न प्रकार से उनकी काउंसलिंग की जाती है जैसे इंडिविज्युल काउंसलिंग , ग्रुप काउंसलिंग , फॅमिली काउंसलिंग, मेराइटल काउंसलिंग ,पर्सनल काउंसलिंग इत्यादि
लम्बे समय तक नशा करने के कारण ऐसे व्यक्तियों के व्यक्तित्व में परिवर्तन उत्पन्न हो जाता है जैसे : चिड़चिड़ापन, गुस्सा करना, शक करना , लड़ाई- झगड़ा, नींद में कमी इत्यादि| इस परिस्थिति के लिए होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा "सिमिलिया - सीमीलिब्स -क्युरेन्टर" की थ्यौरी के आधार पर दवाई का चुनाव कर ईलाज किया जाता है जिसके फलस्वरूप मरीज अपनी पुराने व्यक्तित्व को प्राप्त कर सकता है|
आयुर्वेदिक चिकित्सा पध्दति हमारी सबसे पुराणी एवं महत्वपूर्ण चिकित्सा पध्दति है जिसमें अनेक माध्यमों द्वारा नशे के कारण उत्पन्न होने वाली असाध्य एवं जटिल रोगो का सफल इलाज किया जाता है |
पंचकर्म यह आयुर्वेदिक चिकित्सा पध्दति का अमूल्य अंग है जिसके माध्यम से नशे के कारण उत्पन्न जहरीले तत्वों जो की शरीर में जमा हो जाते हैं उनको पंचकर्म की विभिन्न विधाओं जैसे स्नेहन , स्वेदन के द्वारा शरीर से बाहर निकला जाता है तथा शिरोधारा के माध्यम से मानसिक रोगियों को मानसिक स्थिरता एवं एकाग्रता का अनुभव होता है
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